कितना प्यार करते हैं तुम्हें सनम मेरे दिल से पूछ लो ना बिना सांस कैसे जिये जा रहे हम मेरे दिल से पूछ लो ना
मैंने तेरे नाम सारी जिंदगी कर दी ख्वाबों में तनहाईयों की सादगी भर दी क्यों सितमगर हैं खुदाई, कैसी होती हैं जुदाई कितना सक्त होता है ये दूरी का गम मेरे दिल से पूछ लो ना
बहते अश्कों में छुपी हैं प्यार की बातें लम्हा लम्हा याद आती वो मुलाकातें चाहतों की टूडी लडीयाँ, कैसे कटती है यह घडीयाँ किस तरह से करती हैं सदा यह सितम मेरे दिल से पूछ लो ना