مینا زجهان دل برکندم، تا شوری پیدا کردم تو پریشان مو کردی، چون مجنون صحرا گردم
ز تو نوشین لب باشد، هم درمان و هم دردم
دلم از خون چون مینا، لبریز و من خاموشم شب هجران جای می، خوناب دل می نوشم
ز خیالت برخیزد، بوی گل از آغوشم
تو سیه چشم از چشمم،تا دوری من بیمارم تو سیه گیسو هر شب،در خواب ومن بیدارم
تو لب میگون داری، من اشک گلگون دارم
ز تو دل گر برگیرم، از غم دیگر می میرم
به خدا دور از رویت، از جان شیرین سیرم
زجهان دل برکندم، تا شوری پیدا کردم تو پریشان مو کردی، چون مجنون صحرا گردم
ز تو نوشین لب باشد، هم درمان و هم دردم ز تو نوشین لب باشد، هم درمان و هم دردم ز تو نوشین لب باشد، هم درمان و هم دردم
ze jähan del bär kändäm, ta shuri peyda kärdäm от мира сердце оторвал, [пока] страсть [не] нашел to pärishan mu kärdi, chun mäjnoоn sähra gärdäm ты распустила волосы, как Меджнун в пустыню ушел [я] zeto nushin läb bashäd, häm därman o häm därdäm от тебя сладко [на] губе, и лекарство [излечение боли] и горе [ты] мое deläm äz khun chun mina läbriz o män khamushäm сердце кровью, как графин [mina- графин для вина], полно, и я тих shäbe hejran jaye mey khunab-e del mi n