ओ साथी रे दिन दुबे ना.. आ चल दिन को रोके धुप के पीचे दौड़े छाव छुए ना ओ साथी रे ओ साथी रे दिन दुबे न आ चल दिन को रोके धुप के पीचे दौड़े छाव छुए ना ओ साथी रे ओ साथी रे दिन दुबे न थका थका सूरज जब नदी से होकर निकलेगा हरी हरी कई पे पाव बड़ा तोह फिसलेगा तुम रोक के रखना मै जाल गिराऊ तुम पीठ पे लेना मै हाथ लगाऊ दिन दुबे ना हा तेरी मेरी अत्ति कटती डाट से खाती कटती रे जीयो ना ओ पियु रे ओ पियु रे ना जैय्यो ना
कभी कभी यू करे मै दान्तु और तुम डरना उगल पड़े आंखो से फीके पानी का झरना हम्म तेरे कहरे बदन मे सिल जाउगी रे जब करवट लेगा तू छिल जाउगी रे संग ले जाऊगा तेरी मेरी अंगनी मंगनी एंड संग लागी संगनी संग ले जाऊ ओ पियु रे ओ साथी रे दिन दुबे ना आ चल दिन को रोके धुप के पीचे दौड़े छांव छुए ना ओ साथी रे