लड़की क्यों ना जाने क्यों लड़कों सी नहीं होती सोचती है ज़्यादा, कम वो समझती हैं (2) दिल कुछ कहता है, कुछ और ही करती है लड़की क्यों ना जाने क्यों लड़कों सी नहीं होती…(2) सोचती है ज़्यादा, कम वो समझती हैं दिल कुछ कहता है, कुछ और ही करती है लड़की क्यों ना जाने क्यों लड़कों सी नहीं होती…(2)
प्यार उसे भी है मगर शुरुआत तुम्ही से चाहे खुद में उलझी उलझी है पर बालों को सुलझाए I Mean We Are All The Same Yaar हम अच्छे दोस्त है पर उस नज़र से तुमको देखा नहीं वो सब तो ठीक है पर इस बारे में मैने सोचा नहीं सबसे अलग हो तुम ये कहके पास तुम्हारे आए और कुछ दिन में तुम में अलग सा कुछ भी ना उसको भाए उफ़ ये कैसी शर्ट पहनते हो ये कैसे बाल कटाते हो, गाड़ी तेज़ चलते हो तुम जल्दी में क्यों खाते हो, Give Me A Break! तुम्हें बदलने को पास वो आती है तुम्हें मिटाने को जाल बिछाती है बातों बातों में तुम्हें फसाती है पहले हसाती है फिर बड़ा रूलाती है लड़की क्यों ना जाने क्यों लड़कों सी नहीं होती…(2)
इतना ही खुद से खुश हो तो, पीछे क्यों आते हो फूल कभी तो हज़ार तोहफे आख़िर क्यों लाते हो अपना नाम नहीं बताया आपने कॉफी पीने चलेंगी आप मैं आपको घर छोड़ दू , फिर कब मिलेंगी बिखरा बिखरा बेमतलब सा, टूटा फूटा जीना और कहते हो अलग से हैं हम तान के अपना सीना भीगा टोलिया कहीं फर्श पे टूतपेस्ट का ढक्कन कहीं कल के मौज़े उलट के पहने, वक़्त का कुछ भी होश नहीं जीने का तुमको ढंग सिखलाती हैं तुम्हें जानवर से इंसान बनाते हैं उसके बिना एक पल रह ना सकोगे तुम उसको पता है ये कह ना सकोगे तुम इसलिए लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होती…(2)
जाने कौन कौन से दिन वो तुमको याद दिलाए प्यार को चाहे भूल भी जाए, तारीख़े ना भुलाए फर्स्ट मार्च को नज़र मिलाई, चार एप्रिल को मैं मिलने आई इक्कीस मे को तुमने छुआ था, छे जून मुझे कुछ हुआ था लड़कों का क्या है किसी भी मोड़ पे वो मुड़ जायें अभी किसी के हैं, अभी किसी और से वो जुड़ जायें तुम्हारे मम्मी डैडी घर पर नहीं हैं, ग्रेट! मैं आ जाओं तुम्हारी फ्रेंड अकेली घर जा रही है, बेचारी! मैं छोड़ आऊँ
एक हाँ कहने को कितना टहलाती है थक जाते हैं हम वो जी बहलाती है वो शर्माती है तभी छुपाती है लड़की जो हाँ कह दे उसे निभाती इसलिए लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होती…