प्यार हुआ इक़रार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल कहता है दिल, रस्ता मुश्किल मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल प्यार हुआ इक़रार हुआ...
कहो की अपनी प्रीत का मीत ना बदलेगा कभी तुम भी कहो इस राह का मीत न बदलेगा कभी प्यार जो टूटा, साथ जो छूटा चाँद न चमकेगा कभी प्यार हुआ इकरार हुआ...
रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ प्रीत हमारे प्यार के दोहराएंगी जवानियाँ मैं न रहूँगी, तुम न रहोगे फिर भी रहेंगी निशानियाँ प्यार हुआ इक़रार हुआ...