क्यों हवा आज यों गा रही है, क्यों फ़िज़ा रंग छलका रही है
मेरे दिल बता आज होना है क्या, चाँदनी दिन में क्यों छा रही है
ज़िदगी किस तरफ़ जा रही है, मेरे दिल बता क्या है ये सिलसिला क्यों हवा आज यों गा रही है, गा रही है, गा रही है जहाँ तक भी जाएँ निगाहें, बरसते हैं जैसे उजाले ।। सजी आज क्यों हैं ये राहें, खिलें फूल क्यों हैं निरालें ख़ुशबुएं कैसी ये बह रही है, धड़कनें जाने क्या कह रही है मेरे दिल बता ये कहानी है क्या, क्यों हवा आज यों गा रही है, गा रही है , गा रही है (संगीत) ये किसका है चेहरा जिसे मैं हर इक फूल में देखता हूँ ।। ये किसकी है आवाज़ जिसको न सुन के भी मैं सुन रहा हूँ कैसी ये आहटें आ रही है, कैसी ये ख्वाब दिखला रहे हैं मेरे दिल बता कौन है आ रहा , क्यों हवा आज यों गा रही है, गा रही है ।।