क्या ख़ाक़ है तेरी ज़िन्दगानी!
उठो ऐ ग़रीब बेनवा.
क्या है ये तूने दिल में ठानी?
रहे बन्दा ग़ुलाम-ओ-ग़द्दार.
आओ हम ग़ुलामी अपनी छोड़ें,
हों आज़ाद और रिहा.
बदलें ये सारी दुनिया! बदलें!
जिस में ज़ोर ओ' ज़ुल्म ओ' जफ़ा.
है जंग हमारी आख़री,
जिस पर है फ़ैसला.
गाओ इन्तर्नास्योनाल!
उठो के वक़्त आया!
... दौहराव ...
है जंग हमारी आख़री,
जिस पर है फ़ैसला.
गाओ इन्तर्नास्योनाल
उठो! के वक़्त आया!
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