शिवजी द्वारा श्री रामचंद्र जी को शिव गीता का उपदेश श्रीरामचन्द्र बोले - हे भगवन् ! आपने मोक्षमार्ग सम्पूर्ण वर्णन किया अब इसका अधिकारि कहिये । इसमें मुझको बड़ा संदेह है । आप विस्तारपूर्वक वर्णन किजिये ॥१॥
श्रीभगवानुवाच ।
श्रीभगवान बोले - हे राम! ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री, ब्रह्मचारी, गृहस्थ तथा बिना यज्ञोपवीत हुआ ब्राह्मण ॥२॥
वानप्रस्थ, जिसकी स्त्री मृतक होगई हो, संन्यासी, पाशुपत व्रत करनेहारे इसके अधिकारी है और बहुत कहने से क्या है जिसके अन्तःकरणमें शिवजीके पूजनकी प्रबल भक्ति हो ॥३॥
वही इसमें अधिकारी है और जिसका चित्त दूसरी ओर लगा हुआ है वह इसमें अधिकारी नही तथा मुर्ख अंधे बहरे मूक शौचाचाररहित, स्नान संध्यादि विहित कर्मोंसे रहित ॥४॥